कपालभाति के साथ कत्थक

रविवार, 26 जून 2011
काका जी पुलिया पर बैठ कर पेट अंदर-बाहर कर रहे हैं, लोहार की धूंकनी जैसे धुकाई चल रही थी। बाबा राम देव का चमत्कार है जो उन्होने योगा को योग के वास्तविक स्वरुप में बदल कर गाँव-गाँव तक पहुंचा दिया। काका जी को मैने बताया कि इस पुलिया में बिच्छुओं की खदान है, एक बार बिच्छुओं को भुगत कर देख लिया। अगर ध्यान नहीं रहा तो कपालभाति के साथ-साथ कत्थक भी करना पड़ेगा। बरसात में साँप बिच्छुओं का ध्यान रखना चाहिए।


7 टिप्पणियाँ:

  1. सलाह म अमल जरुरी हवे....ए मौसम म कत्थक, ओडीसी, भरतनाट्यम अउ जम्मो किसिम के नृत्य प्रशिक्षक मन अपन शिष्य के तलाश म बाहिर निकल आथें....
    तोर सलाह ह बाबा रामदेव क जम्मो शिष्य मन बर उपयोगी अउ प्रभावी हवे...

  1. मुंहवा भी गहराई की तरफ है। कीड़े ने नाम पूछ लिया तो सचमुच मुसीबत हो जाएगी।

  1. prerna argal ने कहा…:

    bahut badiyaa.kapaal bharti ke saath kathak.ha ha ha......




    please visit my blog.thanks.

  1. Arunesh c dave ने कहा…:

    हा हा हा

  1. Kailash Sharma ने कहा…:

    बहुत रोचक..

  1. पेट के अंदर बाहिर करइ होगे लोहा गरम करेके धुंकनी, सांप बिच्छू के आगू मा करे लगथन कत्त्थक| सही केहे, पाइप उइप तिरन के बइठइ बने नोहै, कोनजनि कब दे देही ऊपर जाये के दस्तक………। बने हे चलन दे राजमार्ग 30 के किस्सा………जय जोहार।

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